Odisha Library Jobs: Odisha में Libraries की हालत कुछ ख़ास अच्छी नहीं है और वहाँ हज़ारों Post खाली पड़ी हैं. इसी को लेकर Odisha Library Association ने Governor Raghubar Das से दखल देने की गुहार लगाई है. Libraries को किसी भी society की पहचान माना जाता है. वहां पढ़ने-लिखने का माहौल बनता है. लेकिन, जब Libraries में Librarian और दूसरे Staff ही नहीं होंगे, तो काम कैसे चलेगा? इस ख़बर से साफ़ पता चलता है कि सरकार को इस मामले में थोड़ा और Serious होने की ज़रूरत है, ताकि हमारे Libraries फिर से गुलज़ार हो सकें.
Libraries में क्यों है Post खाली?
दरअसल, यह समस्या आज की नहीं है, बल्कि बहुत पुरानी है. Odisha Public Libraries Act, 2001 को तो लागू कर दिया गया था, लेकिन उस पर ठीक से अमल नहीं हुआ. Association के President Dr. Siba Prasad Pattanayak ने बताया कि राज्य में 5,000 से ज़्यादा public libraries हैं, और उनमें Librarian और Library Assistant जैसी हज़ारों Post खाली हैं. कई सालों से इनकी भर्ती नहीं हुई है. इसकी वजह से Libraries के हालात बहुत ख़राब हैं. Libraries में नए Books नहीं हैं, और जो हैं उन्हें भी ठीक से रखा नहीं जाता. जब स्टाफ ही नहीं होगा, तो यह सब काम कौन करेगा? इसी वजह से अब एसोसिएशन ने Governor से कहा है कि वह इस मामले में दखल दें और नई भर्तियों का आदेश दें.
किस तरह की भर्ती की उम्मीद?
Association की इस अपील के बाद, अगर सरकार इस पर ध्यान देती है, तो Librarian, Assistant Librarian और Junior Librarian जैसे पदों पर भर्ती आ सकती है. Association ने एक अलग Directorate of Public Libraries बनाने की भी मांग की है. पहले भी OSSC (Odisha Staff Selection Commission) ने इन पदों के लिए भर्तियाँ निकाली हैं, लेकिन वह बहुत कम संख्या में थीं. अब उम्मीद है कि जब भी भर्ती आएगी तो ज़्यादा posts पर आएगी. इससे Libraries भी बेहतर होंगी और नौजवानों को नौकरी भी मिलेगी. यह ज़रूरी है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले.
आगे क्या हो सकता है?
Library Association की यह पहल बहुत अच्छी है. इससे उम्मीद की किरण जगी है. अगर Governor इस पर ध्यान देते हैं, तो जल्द ही सरकार को एक action plan बनाना होगा. इसके बाद खाली पड़ी posts की गिनती होगी और फिर भर्ती का official Notification आ सकता है. मैं तो यही चाहूँगा कि सरकार जल्द से जल्द इस पर काम करे, क्योंकि इससे लाखों छात्रों और नौजवानों को फ़ायदा होगा जो Libraries में पढ़ने जाते हैं.

संदीप तिवारी एक मंझे हुए पत्रकार हैं, जो आर्थिक नीतियों, लेबर कानूनों और नौकरी बाज़ार पर उनके ज़मीनी असर पर रिपोर्टिंग करने में माहिर हैं। उनका बारीकी से रिसर्च करना और तथ्यों पर आधारित रिपोर्टिंग ही हमारी नौकरी से जुड़ी खबरों और अपडेट्स की सटीकता और भरोसेमंद होने की गारंटी है।