new law colleges moratorium: Bar Council of India (BCI) ने एक बहुत बड़ा और ज़रूरी फैसला लिया है. देश में अब अगले तीन साल तक कोई भी नया लॉ कॉलेज नहीं खुल पाएगा. BCI ने यह रोक इसलिए लगाई है ताकि कानूनी शिक्षा की क्वालिटी को सुधारा जा सके, जिसे ‘Rules of Legal Education, Moratorium (Three-Year Moratorium) with respect to Centers of Legal Education, 2025’ नाम दिया गया है. BCI ने देखा है कि ऐसे बहुत से कॉलेज खुल गए हैं जो सिर्फ नाम के लिए हैं, उनमें न तो ठीक से पढ़ाई होती है और न ही अच्छे teachers हैं. इसलिए यह रोक लगाना बहुत ज़रूरी था. यह नियम 2025 से तीन साल के लिए लागू हो गया है.
असल में, BCI ने अपनी जांच में पाया कि पूरे देश में बेहिसाब Law colleges खुलते जा रहे हैं. इनकी बढ़ती संख्या से कानूनी शिक्षा की quality पर बुरा असर पड़ रहा है. कई कॉलेजों में सही infrastructure नहीं है, और एक तय संख्या के हिसाब से qualified teachers की कमी है. अक्सर State Government और Universities भी बिना ठीक से inspection किए ही NOC (No Objection Certificate) और affiliation दे देती हैं. इस वजह से Legal education का standard लगातार गिर रहा है. इस कमी को दूर करने के लिए BCI ने यह कदम उठाया है. उनका मानना है कि अभी देश में करीब 2000 लॉ कॉलेज हैं, जो काफी हैं. अब focus नए कॉलेज खोलने पर नहीं, बल्कि मौजूदा कॉलेजों की quality सुधारने पर होना चाहिए.
ऐसा नहीं है कि यह रोक हर तरह के कॉलेज पर लगी है. BCI ने इसमें कुछ खास छूटें भी दी हैं. अगर कोई कॉलेज remote या tribal इलाकों में खुल रहा है, या फिर social और educationally backward classes जैसे Scheduled Castes, Scheduled Tribes और Economically Weaker Sections के लिए है, तो उन पर यह रोक लागू नहीं होगी. इसके अलावा, ऐसे course जो सिर्फ दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बनाए गए हैं, उन पर भी यह नियम नहीं लगेगा. Parliament या विधानमंडल द्वारा बनाए गए universities भी इस रोक से बाहर हैं. लेकिन इन सबको भी कुछ सख्त शर्तों को पूरा करना होगा, जैसे valid NOC, पहले से university affiliation और faculty strength दिखानी होगी.
BCI ने यह भी साफ कर दिया है कि अगर कोई कॉलेज इन नए नियमों को नहीं मानता है तो उसके खिलाफ सख्त action लिया जाएगा. BCI ऐसे कॉलेजों की मान्यता (recognition) वापस ले सकता है और उनकी degree को अमान्य भी घोषित कर सकता है. इसका मतलब यह है कि उस कॉलेज से पढ़ने वाले छात्रों को advocate के तौर पर enrolment नहीं मिल पाएगा. इसके साथ ही, BCI ने यह भी कहा है कि इस moratorium के दौरान वो मौजूदा कॉलेजों का और भी ज्यादा कड़ाई से निरीक्षण करेंगे. जो कॉलेज उनके तय किए गए standards को पूरा नहीं कर पाएंगे, उन्हें बंद करने के लिए कहा जा सकता है. यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि देश में legal profession की dignity बनी रहे और लोगों का justice system पर विश्वास कायम रहे.
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